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लेखनी प्रतियोगिता -16-Mar-2022

क्यों?

निस्तेज पड़ा है तू।
उठ,
जरा, हुंकार भर..।

मन के,
शोक संताप का।
उठ के,
तू,, संहार कर..।

आशा की,
नई किरण का,
मन में,
तू संचार कर।

जीवन के,
इस रणक्षेत्र में।
तू दुष्टों,
पर टंकार कर।

कोई विपदा,
नही है बड़ी यहां।
तू उसपे,
पहले वार कर।

क्यों?
निस्तेज पड़ा है तू।
उठ,
जरा, 
हुंकार भर।
संचार कर।
संहार कर।
टंकार कर।
तू सबसे पहले वार कर।

© Vardan Jindal 'सुगत'

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8 Comments

आपकी यह कविता पढ़कर जरूर हिम्मत हार चुका इंसान भी एक बार के लिए हिम्मत जरूर krega

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Shrishti pandey

17-Mar-2022 05:44 PM

Nice

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Punam verma

17-Mar-2022 09:21 AM

Nice

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